tag:blogger.com,1999:blog-27696030656669467662024-03-08T13:38:34.794-08:00Pursuit of happiness redlot.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/14808100355414609608noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2769603065666946766.post-81218472043713177702018-11-01T09:38:00.000-07:002018-11-13T15:08:28.842-08:00‘पल’<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ख़ूबसूरत सा वो पल था,वो कल था।<br />
जब हम साथ थे तो, वो वक़्त हमारे साथ था।।<br />
ख़ूबसूरत सा वो पल था,वो कल था ,<br />
वो वक़्त थम सा गया था,जब हम पुराने बातों में गुम थे।<br />
वो मौज मस्तियाँ, वो गाँव की गलियोँ के नज़ारों में खोये हुए हम थे ।।<br />
ख़ूबसूरत सा वो पल था, वो कल था।<br />
बिना किसी बात माँ से रूठना मनाना,<br />
हर किसी के साथ साईकल से रेस लगाना<br />
उन सल्द हवाओं में थोड़ा सा गुनगुनाना।।<br />
ख़ूबसूरत सा वो पल था, वो कल था,<br />
रोज़ दोस्तों के साथ वक़्त बिताना।<br />
थोड़ा खट्टा मिट्ठा बात सुनना और सुनाना।।<br />
कॉलेज के प्रोफेसरों की नक़ल उतारना,<br />
सबकी परेशानियों को दूर करने लग जाना,<br />
बात बात पर क्लास के चैप्टर पर आ जाना<br />
ख़ूबसूरत सा वो पल था, वो कल था<br />
प्रियंका त्रिपाठी </div>
redlot.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/14808100355414609608noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2769603065666946766.post-683416083258256712018-09-21T11:51:00.002-07:002018-09-24T11:26:01.391-07:00Dastan-e-mohabbat <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<i>दास्तां ये मोहब्बत की इज़्हार कर बैठे ,</i><br />
<i>हम एक दूसरे से इक़रार कर बैठे।</i><br />
<i>दिल में है इबादत ये आश्ना बना बैठे,</i><br />
<i>खुद को तुम्हें अपना असीर बना बैठे।</i><br />
<i>पैगाम मेरा अब ये ज़रा तुम क़ुबूल कर लो,</i><br />
<i>गिला छोड़के अब तो गुफ़्तगू कर लो।</i><br />
<i>है चाह हमारी ये हमपर नाज़ ज़रा कर दो,</i><br />
<i>छोड़ो फ़ासिला अब तो आगे कदम रख दो।।</i><br />
<i> priyanka tripathi</i></div>
redlot.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/14808100355414609608noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2769603065666946766.post-10312481898812822572018-09-21T03:30:00.000-07:002018-09-21T03:32:38.705-07:00नन्ही परी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
है चंचल सी मुस्कान लिये,<br />
जिसके मन में आवेग भरा।<br />
जो किरण भाँति सी चलती है,<br />
जिसके स्नेह का मोल नहीं।<br />
है सुन्दर सी प्रतिमा जैसी,<br />
सौभाग्य से होती हैं बेटी।<br />
अपने कुलदीपक के लिये,<br />
करते हैं ये पाप बड़ा।<br />
निर्दोष में मारी जाती हैं,<br />
जिसने देखा न घर अपना।<br />
प्रतिष्ठा की मिशाल हैं ये,<br />
सम्मान का गहना हैं तनया।<br />
सिर्फ़ बेटी ‘सम्बोधन’से,<br />
दौड़ी चली आती हैं बेटी।।<br />
PRIYANKA TRIPATHI</div>
redlot.blogspot.comhttp://www.blogger.com/profile/14808100355414609608noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2769603065666946766.post-71905233757750002812018-09-20T05:51:00.000-07:002018-09-21T10:36:36.585-07:00नज़्म<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आपको ख्वाब में देखा तो,फ़लक से इबादत कर बैठी<br />
ऐसे जाने नहीं दे सकती ख्वाब को,अपने लब्ज़ से अल्फाज़ बना बैठी<br />
जो कहीं गुलशन में इत्र से खुशबू बिखेर रहें थे,उन्हें उनके आशियानें से अपना आफ़ताब बना बैठी।<br />
यक़ीन होता नहीं मुझे खुद पर,जो आजतक अपने नये अख़लाक़ से अन्जान थी वो,आपको अपना नूर बना बैठी।<br />
ज़र्रा ज़र्रा कह रहा मुझसे,जो मुतासिर थी नहीं किसी से,<br />
आज वो अपने शौहर के लिए लब्ज़ सजा बैठी!!<br />
Priyanka Tripathi </div>
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