नज़्म
आपको ख्वाब में देखा तो,फ़लक से इबादत कर बैठी
ऐसे जाने नहीं दे सकती ख्वाब को,अपने लब्ज़ से अल्फाज़ बना बैठी
जो कहीं गुलशन में इत्र से खुशबू बिखेर रहें थे,उन्हें उनके आशियानें से अपना आफ़ताब बना बैठी।
यक़ीन होता नहीं मुझे खुद पर,जो आजतक अपने नये अख़लाक़ से अन्जान थी वो,आपको अपना नूर बना बैठी।
ज़र्रा ज़र्रा कह रहा मुझसे,जो मुतासिर थी नहीं किसी से,
आज वो अपने शौहर के लिए लब्ज़ सजा बैठी!!
Priyanka Tripathi
ऐसे जाने नहीं दे सकती ख्वाब को,अपने लब्ज़ से अल्फाज़ बना बैठी
जो कहीं गुलशन में इत्र से खुशबू बिखेर रहें थे,उन्हें उनके आशियानें से अपना आफ़ताब बना बैठी।
यक़ीन होता नहीं मुझे खुद पर,जो आजतक अपने नये अख़लाक़ से अन्जान थी वो,आपको अपना नूर बना बैठी।
ज़र्रा ज़र्रा कह रहा मुझसे,जो मुतासिर थी नहीं किसी से,
आज वो अपने शौहर के लिए लब्ज़ सजा बैठी!!
Priyanka Tripathi
Superb
ReplyDeleteKya baat hai aapka ye Andaaz bahut khoob laga
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