‘पल’

ख़ूबसूरत सा वो पल था,वो कल था।
जब हम साथ थे तो, वो वक़्त हमारे साथ था।।
ख़ूबसूरत सा वो पल था,वो कल था ,
वो वक़्त थम सा गया था,जब हम पुराने बातों में गुम थे।
वो मौज मस्तियाँ, वो गाँव की गलियोँ के नज़ारों में खोये  हुए हम थे ।।
ख़ूबसूरत सा वो पल था, वो कल था।
बिना किसी बात माँ से रूठना मनाना,
हर किसी  के साथ साईकल से रेस लगाना
उन सल्द हवाओं में थोड़ा सा गुनगुनाना।।
ख़ूबसूरत सा वो पल था, वो कल था,
रोज़ दोस्तों के साथ वक़्त बिताना।
थोड़ा खट्टा मिट्ठा बात सुनना और सुनाना।।
कॉलेज के प्रोफेसरों की नक़ल उतारना,
सबकी परेशानियों को दूर करने लग जाना,
बात बात पर क्लास के चैप्टर पर आ जाना
ख़ूबसूरत सा वो पल था, वो कल था
                                     प्रियंका त्रिपाठी 

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